BA Semester-3 Sanskrit - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरण - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2652
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरण

 

संस्कृत व्याख्या

प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग - संस्कृत व्याख्या कीजिए -

1.
आ परितोषाद्विदुषां न साधु मन्ये प्रयोगविज्ञानम्।
बलवदपिशिक्षितानामत्मन्यप्रत्ययंचेतः॥

प्रसंग - सूत्राधारः नटीं प्रति कथयति आर्ये कथयामि ते भूतार्थम।

संस्कृत व्याख्या - विदुषां = बुधानाम्, परितोषात् आ = सन्तोषप्राप्तिपर्यन्तम्, प्रयोगविज्ञानम् = आङ्गिकवाचिकाहार्यसात्त्विकरूपाभिनंयप्रयोगस्य विशेषज्ञानम्, साधु = सम्यक् न मन्ये = न हि स्वीकारोमि। बलवद् = सुदृढम्, शिक्षितानाम् = कृताभ्यासानाम् विदुषाम् अपि चेतः = चित्तम् = स्वकीये विषये, अप्रत्ययम् = अविश्वसनीयम् अस्ति।

टिप्पणी - अस्मिन् श्लोके पर्यायोक्तिः तथा अर्थान्तरन्यासः अलंकारः। आर्या छन्दः चास्ति।

2.
सुभगसलिलावगाहाः पाटलसंसर्गसुरभिवनवाताः।
प्रच्छाय, सुलुभनिद्राः दिवसाः परिणामरमणीयाः।।

प्रसंग - सूत्रधरः नटीं प्रति एवं कथयति -

संस्कृत व्याख्या - सुभगसलिलावगाहाः = अतिरमणीयः जलेषु स्नानं येषु ते, पाटलसंसर्गसुरभिवनवाताः = स्थलपद्मानाम् स्पर्शेण सुगन्धित काननपवनः येषु ते तथोक्ताः प्रच्छायसुलभनिद्राः -  छायायाअनायासप्राप्यसुप्तिः येषु ते, दिवसाः   = वासरा: परिणामरमणीयाः = सायंकाले अति मनोहराः भवन्ति।

टिप्पणी - अस्मिन् श्लोके परिकरः स्वभावोक्तिश्चालंकारौ। अनुप्रासः स्वभावोक्ति अस्मिन् श्लोके स्तः। आर्या छन्द |

3.
ईषदीषच्चुम्बितानि भ्रमरैः सुकुमारकेसरशिखानि।
अवतंसयन्ति दयमानाः प्रमदाः शिरीषकुसुमानि॥

प्रसंग - सूत्रधारस्य आश्रया नटी एवं गायति

संस्कृत व्याख्या - दयमानाः सदयाः, प्रमदाः = मदयुक्तः युवत्यः, भ्रमराः = अलिभिः ईषदीषत् = किञ्चित् चुम्बितानि = स्पृष्टानि। तानि सुकुमारकेसर शिखानि = सकोमलकेसरस्य शिखरः युक्तानि, शिरीषकुसुमानि = शिरीष, पुष्पाणि, अवंतसयन्ति = कर्णाभूषणताम् नयन्ति।

टिप्पणी- अस्मिन् श्लोके काव्यलिङ्गम् अलंकारः। उद्गाथा जातिः च।

4.
तवास्मि गीतरागेण हारिणा प्रसभं हृतः।
एष राजेव दुष्यन्तः सारङ्गेणातिरहंसा॥

प्रसंग - सूत्रधार: नटीं प्रति कथयति -

संस्कृत व्याख्या - तव = ते, हारिणा = मनोहारिणा, गीतिरागेण = संगीतमाधुर्येण अतिरहंसा = अतिवेगशालिना, सारङ्गेण = मृगेण, एषः पुरः दृश्यमानः, राजेव दुष्यन्तः = नृपः दुष्यनतसदृशः प्रसभम् = हठात् हृतः अस्मि = अपहृतः अस्मि।

टिप्पणी - अस्मिन् श्लोके काव्यलिङ्गमुपमाश्चालङ्कारौ। पथ्यावक्त्रं पृत्तम् चास्ति।

5.
कृष्णसारे ददच्चक्षुस्त्वयि चाधिज्यकार्मुके।
मृगानुसारिणंसाक्षात्पश्यामीवपिनाकिनम्॥

प्रसंग - सूतः राजानं मृगं चावलोक्य एवं कथयति -

संस्कृत व्याख्या - कृष्णसारे= कृष्णसारनामके मृगविशेषे, अधिज्यकार्मुके= गुणयुक्तं धनुः यस्य तस्मिन् त्वयि च = दुष्यन्ते च चक्षुः = अक्षिम् ददत् = निक्षिपन् मृगानुसारिणं = मृगरूपधर यज्ञानुसारणिम्, साक्षत् = प्रत्यक्षम् पिनाकिनमिव = शिवमिव पश्यामि = अवकोलयामि।

टिप्पणी- अस्मिन् श्लोके विशेषोत्प्रेक्षालंकारौ। अनुष्टप् छन्द चास्ति।

6.
मुक्तेषु रश्मिषु निरायतपूर्वकाया
निष्कम्पचामरशिखा निभृतोर्ध्वकर्णाः।
आत्मोद्धतैरपि रजोभिरलंघनीया
धावन्त्यमी मृगजवाक्षमयेवरथ्याः॥

प्रसंग - सूतः राजानं प्रति कथति श्रीमन् ! पश्य पश्य -

संस्कृत व्याख्या - रश्मिषु = प्रग्रहेषु मुक्तेषु = शिथिलेषु, अमी = एते रथ्याः = अश्वाः, मृगजवाक्षमयया इव = हरिणवेगासहिष्णुतया इव निरायतपूर्वकायाः = अत्यन्तविस्तृतशरीराग्रभागाः येषां ते, निष्कम्पचामरशिखाः = निश्चलाः आगलशिरोलोम्नां अग्रभागाः येषां ते निभृतोर्ध्वकर्णाः = स्थिरौ कर्णो येषां ते, आत्मोद्वैत रपिस्वखरद्वारेण उत्थापितैः अपि रजोभिः रेणुभिः, अलंघनीयाः = अनतिक्रमणीयाः सन्तः, धावन्ति = द्रुततरं गच्छन्ति।

टिप्पणी- अस्मिन श्लोके वृत्यनुप्रासः, उत्प्रेक्षा स्वभावोक्तिश्चालङ्काराः सन्ति। वसन्ततिलका छन्दः।

7.
रम्यास्तपोधनानां प्रतिहतविधाः क्रियाः समवलोक्य।
ज्ञास्यसि कियद् भुजो मे रक्षति मौर्वीकिणाडू इति।

प्रसंग - वैखानसः राजानं प्रति कथयति -

संस्कृत व्याख्या - तपोधनाना = तपस्विनाम्, प्रतिहतविघ्राः= विघ्ररहिताः, रम्याः = रमणीयाः क्रियाः = यज्ञादिकर्माणि, समलोक्य = अवलोक्य मौर्वीकिणाङ्कः प्रत्यञ्चाचिह्नाविभूषितः मे = मम भुजः = बाहुः, कियत् = किं परिमाणकम्, रक्षति = परिपालयति इति= एवम् ज्ञास्यसि = अवगमिस्यसि।

टिप्पणी - अस्मिन् श्लोके काव्यलिङ्गम् परिकरः पुनरुक्तवदाभासश्चालङ्कार | आर्या छन्दः च।

 

 

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भास का काल निर्धारण कीजिये।
  2. प्रश्न- भास की नाट्य कला पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- भास की नाट्य कृतियों का उल्लेख कीजिये।
  4. प्रश्न- अश्वघोष के जीवन परिचय का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- अश्वघोष के व्यक्तित्व एवं शास्त्रीय ज्ञान की विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- महाकवि अश्वघोष की कृतियों का उल्लेख कीजिए।
  7. प्रश्न- महाकवि अश्वघोष के काव्य की काव्यगत विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- महाकवि भवभूति का परिचय लिखिए।
  9. प्रश्न- महाकवि भवभूति की नाट्य कला की समीक्षा कीजिए।
  10. प्रश्न- "कारुण्यं भवभूतिरेव तनुते" इस कथन की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  11. प्रश्न- महाकवि भट्ट नारायण का परिचय देकर वेणी संहार नाटक की समीक्षा कीजिए।
  12. प्रश्न- भट्टनारायण की नाट्यशास्त्रीय समीक्षा कीजिए।
  13. प्रश्न- भट्टनारायण की शैली पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- महाकवि विशाखदत्त के जीवन काल की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
  15. प्रश्न- महाकवि भास के नाटकों के नाम बताइए।
  16. प्रश्न- भास को अग्नि का मित्र क्यों कहते हैं?
  17. प्रश्न- 'भासो हास:' इस कथन का क्या तात्पर्य है?
  18. प्रश्न- भास संस्कृत में प्रथम एकांकी नाटक लेखक हैं?
  19. प्रश्न- क्या भास ने 'पताका-स्थानक' का सुन्दर प्रयोग किया है?
  20. प्रश्न- भास के द्वारा रचित नाटकों में, रचनाकार के रूप में क्या मतभेद है?
  21. प्रश्न- महाकवि अश्वघोष के चित्रण में पुण्य का निरूपण कीजिए।
  22. प्रश्न- अश्वघोष की अलंकार योजना पर प्रकाश डालिए।
  23. प्रश्न- अश्वघोष के स्थितिकाल की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- अश्वघोष महावैयाकरण थे - उनके काव्य के आधार पर सिद्ध कीजिए।
  25. प्रश्न- 'अश्वघोष की रचनाओं में काव्य और दर्शन का समन्वय है' इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  26. प्रश्न- 'कारुण्यं भवभूतिरेव तनुते' इस कथन का क्या तात्पर्य है?
  27. प्रश्न- भवभूति की रचनाओं के नाम बताइए।
  28. प्रश्न- भवभूति का सबसे प्रिय छन्द कौन-सा है?
  29. प्रश्न- उत्तररामचरित के रचयिता का नाम भवभूति क्यों पड़ा?
  30. प्रश्न- 'उत्तरेरामचरिते भवभूतिर्विशिष्यते' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  31. प्रश्न- महाकवि भवभूति के प्रकृति-चित्रण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- वेणीसंहार नाटक के रचयिता कौन हैं?
  33. प्रश्न- भट्टनारायण कृत वेणीसंहार नाटक का प्रमुख रस कौन-सा है?
  34. प्रश्न- क्या अभिनय की दृष्टि से वेणीसंहार सफल नाटक है?
  35. प्रश्न- भट्टनारायण की जाति एवं पाण्डित्य पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- भट्टनारायण एवं वेणीसंहार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  37. प्रश्न- महाकवि विशाखदत्त का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  38. प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटक का रचयिता कौन है?
  39. प्रश्न- विखाखदत्त के नाटक का नाम 'मुद्राराक्षस' क्यों पड़ा?
  40. प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटक का नायक कौन है?
  41. प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटकीय विधान की दृष्टि से सफल है या नहीं?
  42. प्रश्न- मुद्राराक्षस में कुल कितने अंक हैं?
  43. प्रश्न- निम्नलिखित पद्यों का सप्रसंग हिन्दी अनुवाद कीजिए तथा टिप्पणी लिखिए -
  44. प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग - संस्कृत व्याख्या कीजिए -
  45. प्रश्न- निम्नलिखित सूक्तियों की व्याख्या कीजिए।
  46. प्रश्न- "वैदर्भी कालिदास की रसपेशलता का प्राण है।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  47. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के नाम का स्पष्टीकरण करते हुए उसकी सार्थकता सिद्ध कीजिए।
  48. प्रश्न- 'उपमा कालिदासस्य की सर्थकता सिद्ध कीजिए।
  49. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् को लक्ष्यकर महाकवि कालिदास की शैली का निरूपण कीजिए।
  50. प्रश्न- महाकवि कालिदास के स्थितिकाल पर प्रकाश डालिए।
  51. प्रश्न- 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' नाटक के नाम की व्युत्पत्ति बतलाइये।
  52. प्रश्न- 'वैदर्भी रीति सन्दर्भे कालिदासो विशिष्यते। इस कथन की दृष्टि से कालिदास के रचना वैशिष्टय पर प्रकाश डालिए।
  53. अध्याय - 3 अभिज्ञानशाकुन्तलम (अंक 3 से 4) अनुवाद तथा टिप्पणी
  54. प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग - संस्कृत व्याख्या कीजिए -
  55. प्रश्न- निम्नलिखित सूक्तियों की व्याख्या कीजिए -
  56. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम्' नाटक के प्रधान नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  57. प्रश्न- शकुन्तला के चरित्र-चित्रण में महाकवि ने अपनी कल्पना शक्ति का सदुपयोग किया है
  58. प्रश्न- प्रियम्वदा और अनसूया के चरित्र की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए।
  59. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् में चित्रित विदूषक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  60. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् की मूलकथा वस्तु के स्रोत पर प्रकाश डालते हुए उसमें कवि के द्वारा किये गये परिवर्तनों की समीक्षा कीजिए।
  61. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के प्रधान रस की सोदाहरण मीमांसा कीजिए।
  62. प्रश्न- महाकवि कालिदास के प्रकृति चित्रण की समीक्षा शाकुन्तलम् के आलोक में कीजिए।
  63. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के चतुर्थ अंक की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- शकुन्तला के सौन्दर्य का निरूपण कीजिए।
  65. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् का कथासार लिखिए।
  66. प्रश्न- 'काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला' इस उक्ति के अनुसार 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' की रम्यता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
  67. अध्याय - 4 स्वप्नवासवदत्तम् (प्रथम अंक) अनुवाद एवं व्याख्या भाग
  68. प्रश्न- भाषा का काल निर्धारण कीजिये।
  69. प्रश्न- नाटक किसे कहते हैं? विस्तारपूर्वक बताइये।
  70. प्रश्न- नाटकों की उत्पत्ति एवं विकास क्रम पर टिप्पणी लिखिये।
  71. प्रश्न- भास की नाट्य कला पर प्रकाश डालिए।
  72. प्रश्न- 'स्वप्नवासवदत्तम्' नाटक की साहित्यिक समीक्षा कीजिए।
  73. प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के आधार पर भास की भाषा शैली का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के अनुसार प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  75. प्रश्न- महाराज उद्यन का चरित्र चित्रण कीजिए।
  76. प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् नाटक की नायिका कौन है?
  77. प्रश्न- राजा उदयन किस कोटि के नायक हैं?
  78. प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के आधार पर पद्मावती की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  79. प्रश्न- भास की नाट्य कृतियों का उल्लेख कीजिये।
  80. प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के प्रथम अंक का सार संक्षेप में लिखिए।
  81. प्रश्न- यौगन्धरायण का वासवदत्ता को उदयन से छिपाने का क्या कारण था? स्पष्ट कीजिए।
  82. प्रश्न- 'काले-काले छिद्यन्ते रुह्यते च' उक्ति की समीक्षा कीजिए।
  83. प्रश्न- "दुःख न्यासस्य रक्षणम्" का क्या तात्पर्य है?
  84. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए : -
  85. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिये (रूपसिद्धि सामान्य परिचय अजन्तप्रकरण) -
  86. प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिये।
  87. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (अजन्तप्रकरण - स्त्रीलिङ्ग - रमा, सर्वा, मति। नपुंसकलिङ्ग - ज्ञान, वारि।)
  88. प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिए।
  89. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (हलन्त प्रकरण (लघुसिद्धान्तकौमुदी) - I - पुल्लिंग इदम् राजन्, तद्, अस्मद्, युष्मद्, किम् )।
  90. प्रश्न- निम्नलिखित रूपों की सिद्धि कीजिए -
  91. प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिए।
  92. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (हलन्तप्रकरण (लघुसिद्धान्तकौमुदी) - II - स्त्रीलिंग - किम्, अप्, इदम्) ।
  93. प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूप सिद्धि कीजिए - (पहले किम् की रूपमाला रखें)

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